‘चौकीदार’ शब्द ने विदेशी मीडिया को किया कंफ्यूज

विदेशी मीडिया को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान ने कंफ्यूज कर दिया है। मोदी सरकार के लगभग सभी मंत्रियों और सांसदों ने अपने नाम के आगे चौकीदार लगा रखा है। ये ‘चौकीदार’ सामान्य बोलचाल से लेकर उनके सोशल मीडिया अकाउंट तक पहुँच गया है। मसलन, ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’। ऐसे में विदेशी पत्रकार और मीडिया संस्थान समझ ही नहीं पा रहे हैं कि ‘चौकीदार’ है क्या भला। इसी के चलते अमेरिका के कई मीडिया समूहों ने अपनी खबर में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ‘चौकीदार सुषमा स्वराज’ के रूप में संदर्भित किया। इस ‘चौकीदार’ ने सात समुंदर पार बैठे पत्रकारों का सिर चकरा दिया है।

दरअसल, स्वराज ने 29 अप्रैल की शाम को वेस्ट चेस्टर, ओहियो में एक सिख परिवार के चार सदस्यों की हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। स्वराज ने घटना पर दुःख जताते हुए कहा था कि यह हेट क्राइम नहीं है। इसके बाद कई मीडिया संस्थानों ने इनके ट्वीट को अपनी खबर में जगह दी। अमेरिका के CBS न्यूज़ से जुड़े  WKRC TV ने गफलत के चलते स्वराज का पूरा नाम ‘चौकीदार सुषमा स्वराज’ लिख डाला। इसी तरह अमेरिका के लोकप्रिय ABC न्यूज़ से संबद्ध WCPO भी ‘चौकीदार’ के पीछे की भावना को भांपने में नाकाम रहा और भारतीय विदेश मंत्री के ट्विटर अकाउंट पर लिखे ‘चौकीदार’ को उनके पूरे नाम में शामिल कर लिया। इतना ही नहीं NBC न्यूज़ के WLWT और फॉक्स नेटवर्क के Fox19 ने भी सुषमा स्वराज को ‘चौकीदार सुषमा स्वराज’ कहकर संबोधित किया।

मैं गे नहीं सोशल मीडिया पर हुई गलतफहमी : जेम्स फॉकनर

सोशल मीडिया पर अपने दोस्त के साथ एक पोस्ट शेयर करने के बाद ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेटर जेम्स फॉकनर को गे करार दे दिया गया। फॉक्नर ने अब इसपर सफाई देते हुए कहा है कि यह महज एक गलतफहमी है और वह गे नहीं है।

फॉकनर ने मंगलवार को इंस्टग्राम पर एक और पोस्ट शेयर की और बताया कि वह गे नहीं है। उन्होंने लिखा, ‘मुझे लग रहा है पिछली रात मेरे किए गए पोस्ट को गलत समझ लिया गया है। मैं गे नहीं हूं। रॉब मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। पिछली रात हमें हाउसमेट हुए पांच साल पूरे हो गए थे। हालांकि LBGT समुदाय की ओर से मिल रहे समर्थन को देखकर अच्छा लग रहा है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि प्यार सिर्फ प्यार होता है। इतने सारे लोगों का समर्थन देखकर अच्छा लगा।’

सोशल मीडिया पर न्यूज एंकर का पीछा करनेवाला गिरफ्तार

साइबर सेल की टीम ने एक हिंदी न्यूज चैनल की एंकर पर सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में आरोपित युवक को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी की पहचान खोड़ा कॉलोनी के वरुण कुमार के रूप में हुई है। वह एक मॉल के शोरूम में काम करता है।
थाना फेज थ्री के एसएचओ अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि पीड़ित महिला ने शिकायत दी थी कि ट्वीटर और फेसबुक पर एक युवक कई महीने से कमेंट करके कभी उसकी प्रस्तुति तो कभी खूबसूरती की तारीफ करता है। वह इसे एक फैन की सामान्य प्रतिक्रिया मानकर नजरअंदाज करती रही। अब वह उसे मेसेज करके कहने लगा कि उसने उसका फ्लैट देख लिया है और जल्द ही उससे मिलने के लिए आने वाला है। 

साइबर सेल की टीम ने आईपी अड्रेस और लोकेशन के आधार पर खोड़ा कॉलोनी से आरोपित को दबोच लिया। उसके खिलाफ छेड़छाड़ की धारा में केस दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।

सोशल मीडिया में वायरल हो रहा शिक्षक-प्रधानाचार्य का विवाद

28_04_2019-27cth21_19175966_175751.jpg

सोशल मीडिया पर जीआइसी पवलगढ़ में शिक्षक व प्रधानाचार्य के बीच शुरू हुआ विवाद वायरल हो गया है। इस विवाद में शिक्षक व प्रधानाचार्य एसोसिएशन भी कूद पड़े हैं। दोनों एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अंग्रेजी के प्रवक्ता चंद्रशेखर बुधोड़ी ने विद्यालय के प्रधानाचार्य बीएस मनराल पर मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। शिक्षक की शिकायत के बाद राजकीय शिक्षक संघ की नैनीताल जिला इकाई ने 9 अप्रैल को प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर वार्ता के लिए समय देने का अनुरोध किया। 12 अप्रैल की तिथि में संघ को लिखे दूसरे पत्र में स्कूल के 15 प्रवक्ता व सहायक अध्यापकों ने प्रधानाचार्य पर मानसिक उत्पीड़न की बात कही है। वहीं, प्रधानाचार्य ने शिकायती पत्र को झूठा करार देते हुए कहा है कि 12 अप्रैल को अधिकांश स्टाफ चुनाव ड्यूटी से लौट रहा था। वह खुद निर्वाचन ड्यूटी में थे। आरोप है कि मेडिकल अवकाश चल रहे शिक्षकों के भी पत्र में हस्ताक्षर हैं। प्रधानाचार्य मनराल ने इस मामले में सीईओ को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। उन्होंने स्टाफ की कमियों को इंगित करता 15 बिंदुओं का पत्र भी सीईओ को भेजा है। प्रधानाचार्य एसोसिएशन ने अपर निदेशक को पत्र लिखकर प्रधानाचार्य की छवि धूमिल करने की मंशा की जांच कराने की मांग की है।

सूत्रों की मानें तो मामले को हाइप देने के पीछे राजकीय शिक्षक संघ के चुनाव को वजह बताया जा रहा है। शिक्षक नेता मामले को सुलझाने के बाद संघ के चुनाव में इसको भुनाना चाहते हैं। इसके चलते संघ के पदाधिकारी 12 व 16 अप्रैल को अलग-अलग दिन पवलगढ़ विद्यालय पहुंचे थे।

scroll to top